अगर किसी ने रजनी कांत की रोबोट देखी है... तो उसे रा.वन नाउम्मीद करनेवाली है... जो बॉलीवुड की मसाला फ़िल्में पसंद करता है... उसके लिए भी रा.वन उम्मीदों पर खरी उतरनेवाली नहीं है... लेकिन जो बिना किसी शिकवे और शिकायत के साइंस फिक्शन फ़िल्में पसंद करते हैं उनके लिए रा.वन ठीक है...
फ़िल्म देखते वक़्त आपके ज़हन में किसी सीन को भी दूसरी फ़िल्म से तुलना करने का मौक़ा नहीं मिलता... निर्देशक अनुभव सिन्हा ने अच्छा अनुभव इस्तेमाल किया है... जब तक आप एक सुपर हीरो की छवि को शाहरूख में देखते हैं... तब तक सीन बदल जाता है और दूसरे सुपर हीरो से जी.वन की छवि मेल खाने लगती है... टर्मिनेटर-2 में टी-1000 की तरह रा.वन कोई भी रूप धारण कर लेता है... आयरन मैन की तरह रा.वन और जी.वन के चमकते हुए मशीनी दिल हैं... तो रोबोट की तरह मुंबई की लोकल ट्रेन पर भागते सुपरहीरो शाहरूख हैं... ऐसे ही कई सीन्स हैं... जो हैंकॉक, क्रिष, मैक्ट्रिक्स जैसी फ़िल्मों की पल भर के लिए याद दिलाते हैं
कमज़ोर कहानी... कमज़ोर स्क्रीन प्ले... लेकिन शानदार और बॉलीवुड में कभी न देखे गए स्पेशल इफेक्ट्स रा.वन को स्पेशल बना देते हैं... लंदन की सड़कों पर फ़िल्माया गया चेज़िंग सीन सबसे अट्रैक्टिव सीन है.... और एयरपोर्ट पर मेटल डिटेक्टर से बचने की कोशिश करते शाहरूख का सीन सबसे ज़्यादा हंसानेवाला है... मुंबई एयरपोर्ट पर जी.वन का लोकल गुंडों से लड़ना सबसे बढ़ियां फाइट सीक्वेंस है... बाकी फ़िल्म में सोनिया यानी करीना कपूर के सेंसर किए जानेवाले डायलॉग और सीन्स हैं... कहानी को थोड़ा और मज़बूत किया जा सकता था... अगर शाहरूख को एक पारिवारिक सुपरहीरो की जगह... दुनिया बचानेवाला सुपरहीरो बनाने की कोशिश होती
अनुभव कहानी की कड़ियों को जोड़ पाने भी नाकामयाब रहे... हर सीन अचानक से आता... अचानक से चला जाता... दर्शक समझते उससे पहले सुपरकथा का अगला अध्याय प्रारंभ हो जाता है... फ़िल्म के क्लाइमेक्स तक दर्शक कुछ नए की उम्मीद में सिल्वर स्क्रीन से आंखें गड़ाए रखते हैं... लेकिन ये क्लाइमेक्स बच्चों के कम्प्यूटर गेम की तरह ख़त्म हो जाता है...
शाहरूख ने इस फ़िल्म के लिए जान लगा दी है... और बिना किसी शक के कहा जा सकता है कि एक सुपरहीरो के किरदार को उन्होने बखूबी निभाया है... ओम शांति ओम के दूसरे हाफ में जिस तरह उनका क़िरदार सामान्य आदमी से एक सिक्स पैकवाले एक्टर में बदलता है उसी तरह रा.वन में भी एक कमज़ोर से दिखनेवाले साइंटिस्ट शेखर का बदलाव होता है सुपरहीरो जी.वन में... शाहरूख के साथ... करीना और अरमान वर्मा का अभिनय भी काबिल-ए-तारीफ़ है... बेहद कम वक़्त के लिए आए अर्जुन रामपाल ने भी असर छोड़ा है...
संगीत के मामले में पहले से ही विशाल-शेखर की धुनों ने लोगों को दीवाना बना रखा है... लेकिन कहानी के साथ गानों का कोई मेल नहीं दिखता है... यहां भी कड़ियां जुड़ती नहीं हैं...
कुल मिलाकर स्पेशल इफेक्ट्स और शाहरूख के नाम पर फ़िल्म को एक बार देखा जा सकता है...
3 Stars, Decent Watch, Full Entertainment, Diwali Blast
Wish you a very Happy and Prosperous Diwali.
ReplyDeleteThanks Seema Ji and Have a Blasting Diwali with full of Joy
ReplyDeleteI really liked the line above "It's a cakewalk for Arjun Rampal to remain expressionless" :-) Well SRK is no Steve Jobs. He doesn't know what Indian audience want, neither can he make people at large to love something just because he did it. Being an ardent fan, it's so disappointing. Looking forward to Don 2.
ReplyDeletegood one
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