देसी फ़िल्मों में रजनी कांत और परदेसी फ़िल्मों में टॉम क्रूज़, विज्ञान का कोई नियम इनके स्टंट्स में लागू नहीं होता। Mission Impossible – Ghost Protocol कुछ ऐसी ही है। क्रूज़ के लिए Mission Impossible का ये सबसे ज़्यादा Possible Mission है। अब तक की श्रृंखला में सबसे बेहतरीन पेशकश और ऐसा शायद क्रूज़ की वजह से नहीं, बल्कि अपनी पहली जीवंत एक्शन फ़िल्म निर्देशित करनेवाले ब्रेड बर्ड का कमाल है। जो अब तक एनिमेटेड फ़िल्मों में कभी न देखे जानेवाले एक्शन सीन दिखाते आए हैं। बर्ड की बनाई फ़िल्मों Academy Award विजेता The Incredibles और Ratatouille के अलावा The Iron Giant में अगर हीरो नाश्ते में ख़तरों का स्वाद चखता था, तो Mission Impossible – Ghost Protocol में क्रूज़ ख़तरों को ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर यानी 24X7 चखते रहते हैं।
क्रूज़, मिशन इम्पॉसिबल की सीरीज़ में हर एक को दूसरे से अलग रखने के लिए निर्देशकों को बदलते रहे हैं। ब्रायन डी पालमा ने पहली MI बनाई उसके बाद MI-2 जॉन वू और MI-3 जे जे अब्राम्स के कंधों पर रखी गई, लेकिन सबसे अलग इस बार ऐसे निर्देशक पर भरोसा किया गया जिसे Live Action फ़िल्मों का ज़रा भी तज़ुर्बा नहीं था। लेकिन ब्रेड बर्ड के काम ने सबकी बोलती बंद कर दी। कमाल के एक्शन सीक्वेंस, जो मिशन इम्पॉसिबल की पहचान हैं और जिसे बखूबी निभाया है 49 साल के क्रूज़ ने।
क्रूज़ की बाकी फ़िल्मों की तरह इसकी शुरूआत भी ऐसी घटना से होती है जिसके बारे में पूरी फ़िल्म में पता नहीं चलता। क्रूज़ मॉस्को की जेल तोड़कर भागते हैं, लेकिन कहानी में ये नहीं बता पाते कि वे वहां बंद क्यों थे। ख़ैर Mission Impossible हमेशा ही National Interest का मिशन रहा है लिहाज़ा इसवाले में भी क्रूज़ और उनकी टीम रूस और अमेरिकी सरकार के बीच फंस जाती है। क्रूज़ पर रूस के न्यूक्लियर कोड चुराने का आरोप है और अमेरिकी सरकार न सिर्फ उनका साथ छोड़ देती है। बल्कि वो और उनकी टीम भगोड़ा घोषित हो जाते हैं। अमेरिकी सरकार ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सबसे उच्च स्तर Ghost Protocol को लागू करती है और यहीं से शुरू होता MI-4।
बर्ड और स्क्रीनराइटर्स एर्डे नेमेक और जॉस एपलबॉम ने कहानी को बेहद करीने से पर्दे पर पेश किया है जिसमें इथन (टॉम क्रूज़) को हमेशा भागते रहना होता है। पुराने इथन की तरह ये इथन भी भागता है, ख़तरों से खेलता है, धमाकों के बीच से निकलता है, दुनिया के हर हिस्से में नियम-क़ानून तोड़ता है। इथन ऐसा करता है तो फ़िल्म में रफ़्तार दिखती है लेकिन इथन रुकता है तो फ़िल्म भी रुक जाती है।
फ़िल्म में दो सीन सबसे अहम हैं, एक जिसमें टॉम दुबई में दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज़ खलीफ़ा पर चढ़ाई करते हैं और दूसरा सीन भारतीय लिहाज़ से अहम है जब अनिल कपूर एक प्ले ब्वॉय बिज़नेस टायकून के तौर पर एंट्री मारते हैं। छोटे लेकिन दमदार रोल से अनिल हॉलीवुड में अपनी जगह पक्की करते जा रहे हैं। शायद ये अनिल का होना ही है जो भारत में इस फ़िल्म को अच्छी ओपनिंग मिली है।
बुर्ज खलीफ़ा के सीन को आईमैक्स के 65एमएम कैमरे से शूट किया गया है। 132 मिनट की फ़िल्म में महज़ 27 मिनट ही IMAX फुटेज है लेकिन ये फ़िल्म को अगले दर्जे पर ले जाती है और इसीलिए पैरामाउंट पिक्चर्स ने फ़िल्म को IMAX Theaters में रिलीज़ करने का फ़ैसला लिया।
इथन (क्रूज़) की टीम मेंबर्स भी उसी की तरह कमाल करनेवाले हैं। जेन कार्टर (पॉला पैटन) एक एजेंट के तौर पर बेहद सख़्त भी हैं और कुछ जगहों पर ग़ज़ब की ख़ूबसूरती बिखेरती मॉडल जैसी भी है और बेंजी डन (साइमन पेग) तो हरफनमौला है हीं, जनता को हंसाने के साथ-साथ इथन को मज़बूती से सपोर्ट करने तक।
कुल मिलाकर Mission Impossible - Ghost Protocol को मिस नहीं किया जा सकता। बहाना कुछ भी हो सकता MI Series, या Tom Cruise, या Action Scenes और Gadgets या Anil Kapoor, लेकिन देखना है तो असली मज़ा सिनेमा थियेटर में ही है और अगर IMAX में देखने को मिले तो कभी न भूलनेवाला अनुभव होगा।
कुल मिलाकर Mission Impossible - Ghost Protocol को मिस नहीं किया जा सकता। बहाना कुछ भी हो सकता MI Series, या Tom Cruise, या Action Scenes और Gadgets या Anil Kapoor, लेकिन देखना है तो असली मज़ा सिनेमा थियेटर में ही है और अगर IMAX में देखने को मिले तो कभी न भूलनेवाला अनुभव होगा।
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