दर्शक के लिहाज़ से कहूं तो फ़िल्में हमेशा लोगों के लोगों के लिए सपने की तरह होती हैं... और अगर कोई सपने को हू-ब-हू... बिना मिलावट के ज़िंदा कर दे तो... क्या कहेंगे... शंकर ने कुछ ऐसा ही किया है फ़िल्म रोबोट में...
वैसे तो रजनीकांत को जाना ही जाता है एकदम अलग तरह की फ़िल्मों और चैलेंजिंग रोल के लिए... और इस बार भी उन्होने ख़ुद को साबित कर दिया है... एक साइटिंस के रोल के साथ ही एक ऐसे रोबोट का रोल जिसके अंदर दुनिया के सभी सुपर हीरोज़ की ताक़त समाई हुई है....
वैसे तो रजनीकांत को जाना ही जाता है एकदम अलग तरह की फ़िल्मों और चैलेंजिंग रोल के लिए... और इस बार भी उन्होने ख़ुद को साबित कर दिया है... एक साइटिंस के रोल के साथ ही एक ऐसे रोबोट का रोल जिसके अंदर दुनिया के सभी सुपर हीरोज़ की ताक़त समाई हुई है....
इतने बड़े बजट की फ़िल्म और इतने सारे स्पेशल इफेक्ट्स के साथ एक अलग तरह की सोच... अलग तरह की प्रेजेंटेशन के साथ बतौर डायरेक्टर शंकर ने कमाल का काम किया है... पूरी फ़िल्म के लिए अगर किसी को क्रेडिट दिया जाएगा तो वो सिर्फ शंकर को... वैसे तो पूरी फिल्म में डायरेक्शन का कमाल देखने को मिलता है... लेकिन आख़िर की आधे घंटे की फ़िल्म तो लाजवाब है... जिस सोच के साथ सभी फाइट सींस बनाए गए हैं... और हज़ारों रोबोट्स का इलेक्ट्रो मैगनेटिक गेम... वाकई अंचभिंत कर देनेवाला है.... कम से कम भारत में तो किसी भी फिल्म में अभी तक ऐसा स्पेशल इफेक्ट और इतने शानदार प्रजेंटेशन के साथ देखने को नहीं मिला है... ज़ाहिर है शंकर ने रोबोट के साथ भारत की फ़िल्मों को एक नए प्लेटफॉर्म पर पहुंचाया है...
2 घंटे 55 मिनट की लम्बी फिल्म में वो सब मसाला है जो हर बॉलीवुड फ़िल्म में होता है... प्यार... रोमांस... एक्शन... कॉमेडी... के साथ-साथ एक संदेश भी.... और ये सब कुछ एक रोबोट के साथ... एक ऐसा रोबोट जिसके अंदर दुनियाभर की ताक़त तो है ही... उसके भीतर इंसानों की तरह भावनाएं भी हैं... और इस रोल को पर्दे पर ज़िंदा करने का पूरा श्रेय जाता है रजनीकांत को... एक्शन सींस में वो इतनी आसानी से फिट बैठ जाते हैं जैसे लगता है 18-20 साल का जवान फाइट कर रहा हो...
एक्शन और स्पेशल इफेक्ट्स ही फ़िल्म की जान हैं.... और सब कुछ ऐसा है जैसा किसी और फ़िल्म में नहीं है... कहने का मतलब किसी भी फ़िल्म की कॉपी नहीं है... नई सोच है... और नई कल्पना है... जिसे शंकर ने पर्दे पर उतारा है...
एक्शन के युएन वू पिंग को सलाम है... और वीएफएक्स के सारे काम के लिए स्टैन विंस्टन स्टूडियो को... जिसने जुरासिक पार्क... आयरन मैन... से लेकर टर्मिनेटर तक में काम किया है... और स्पेशल इफेक्ट्स में अपना लोहा मनवा चुके हैं...
कुल मिलाकर बॉलीवुड की ऐसी फ़िल्म अगर आप नहीं देखते हैं और वो भी सिनेमा हॉल में अच्छे साउंड इफेक्ट्स के साथ... तो आप काफी कुछ मिस कर देंगे
अगर ये फ़िल्म थ्री डी में होती तो मज़ा दोगुना होजाता
4 Stars, Paisa Vasool Film, Must Watch, Super Hit Entertainment
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